कुछ मौसमी-सा ।। Hello , दोस्तों ये मौसम भी कमाल है, कभी ध्यान दिया है कि कैसे ये बदलता है ? और, कैसे बदलते है समाज व रिश्ते ? चलिए समझने की कोशिश करते है । वैसे मौसम कि बातें ज्यादातर मौसम विभाग या फिर प्यार में डूबे लोग के मुंह से ही अच्छा लगता है जिस पर सोचने के लिए शायद उन्होंने कॉपीराइट्स भी लिया होता है । वैसे देखे तो मौसम और समाज में काफी जुड़ाव देखने को मिलता है , किसी समाज का स्वभाव कैसा होगा,ये वहाँ के मौसम से भी पता चल सकता है , ठीक वैसे ही जैसे काफी दिन की गर्मी गुस्साए लोगों को बारिश का मौसम ख़ुशनुमा सा कर देता है , और लोगों के स्वभाव बदल कर रख देती है । सिर्फ बारिश को ले तो इसका असर सभी लोगों पर देखने को मिलता है ,कुछ के लिए बारिश मस्ती के जैसा ,कुछ के लिए पहले प्यार जैसा तो किसी के लिए बहार और कुछ के लिए एक लंबे इन्तजार के जैसा। यही नही और बाकि मौसमो का भी कुछ यही हाल है । किसी ने कहा था कि '' सर्दियों सेठो की होती है , तो गर्मियां गरीबो की '' कैसे? समझता हूं रुकिए ! सर्दियां थोड़ी बेरहम सी मालूम पढ़ती है , गरीबों का कोई औका