कुछ मौसमी-सा ।।
दोस्तों
ये मौसम भी कमाल है, कभी ध्यान दिया है कि कैसे ये बदलता है ? और, कैसे बदलते है समाज व रिश्ते ? चलिए समझने की कोशिश करते है ।
वैसे मौसम कि बातें ज्यादातर मौसम विभाग या फिर प्यार में डूबे लोग के मुंह से ही अच्छा लगता है जिस पर सोचने के लिए शायद उन्होंने कॉपीराइट्स भी लिया होता है ।
वैसे देखे तो मौसम और समाज में काफी जुड़ाव देखने को मिलता है , किसी समाज का स्वभाव कैसा होगा,ये वहाँ के मौसम से भी पता चल सकता है , ठीक वैसे ही जैसे काफी दिन की गर्मी गुस्साए लोगों को बारिश का मौसम ख़ुशनुमा सा कर देता है , और लोगों के स्वभाव बदल कर रख देती है ।
सिर्फ बारिश को ले तो इसका असर सभी लोगों पर देखने को मिलता है ,कुछ के लिए बारिश मस्ती के जैसा ,कुछ के लिए पहले प्यार जैसा तो किसी के लिए बहार और कुछ के लिए एक लंबे इन्तजार के जैसा।
यही नही और बाकि मौसमो का भी कुछ यही हाल है । किसी ने कहा था कि '' सर्दियों सेठो की होती है , तो गर्मियां गरीबो की '' कैसे? समझता हूं रुकिए !
सर्दियां थोड़ी बेरहम सी मालूम पढ़ती है , गरीबों का कोई औकात नही उसके सामने , जिसके पास पैसा है वो ज्यादा कपड़े और मुफ़्लर डाल कर बच सकता है एक रजाई से कम नही चल रहा तो दूसरी ख़रीद कर सो सकते है पांनी ठंडा है तो गर्म कर के नहा सकते है और अपनी कपकपी मिटा सकते है, पर दूसरी गर्मियां जैसे समानता को लाने की कोशिश की तरह । भले ही आप ठंडा पांनी पी ले या ए.सी में रह ले पर कही न कही गर्मी का एहसास तो जरूर होगा और इस लिए हर कोई गर्मी से बचने के लिए कम से कम कपड़ो में दिखाई देता है ,अगर आप ए.सी रूम में टी-शर्ट पहन रखा है तो जुगी में रहने वाले की हालत आपसे ज्यादा खराब नही देखती क्यू की उसने भी बनियान डाल रखी है । इस तरह पहनावे के जरिये ये समानता देखने को मिलती है ।
पर ये केवल एक नजरिया था मौसम को देखने उसे समझने का उसकी तुलना करने का समाज के साथ , ऐसे और भी कई नज़रिए हो सकते है और बेहतर नजरिये हो सकते है आपके और हमारे इसको देखने का जिसके जरिये हम कई और मौसम की तुलना भी कर सकते है,बस करना ये है कि अपने सोच के घोड़े दौड़ते रहे ।
:आप को हमारा ब्लॉग कैसा लगा हमें ज़रूर बताए ,मिलते है अगले ब्लॉग के साथ नमस्कार ।।
:We will glad with your valuable Suggestions and reviews, thank you !
-Az👤
【Avoice63】°©
वैसे मौसम कि बातें ज्यादातर मौसम विभाग या फिर प्यार में डूबे लोग के मुंह से ही अच्छा लगता है जिस पर सोचने के लिए शायद उन्होंने कॉपीराइट्स भी लिया होता है ।
वैसे देखे तो मौसम और समाज में काफी जुड़ाव देखने को मिलता है , किसी समाज का स्वभाव कैसा होगा,ये वहाँ के मौसम से भी पता चल सकता है , ठीक वैसे ही जैसे काफी दिन की गर्मी गुस्साए लोगों को बारिश का मौसम ख़ुशनुमा सा कर देता है , और लोगों के स्वभाव बदल कर रख देती है ।
सिर्फ बारिश को ले तो इसका असर सभी लोगों पर देखने को मिलता है ,कुछ के लिए बारिश मस्ती के जैसा ,कुछ के लिए पहले प्यार जैसा तो किसी के लिए बहार और कुछ के लिए एक लंबे इन्तजार के जैसा।
यही नही और बाकि मौसमो का भी कुछ यही हाल है । किसी ने कहा था कि '' सर्दियों सेठो की होती है , तो गर्मियां गरीबो की '' कैसे? समझता हूं रुकिए !
सर्दियां थोड़ी बेरहम सी मालूम पढ़ती है , गरीबों का कोई औकात नही उसके सामने , जिसके पास पैसा है वो ज्यादा कपड़े और मुफ़्लर डाल कर बच सकता है एक रजाई से कम नही चल रहा तो दूसरी ख़रीद कर सो सकते है पांनी ठंडा है तो गर्म कर के नहा सकते है और अपनी कपकपी मिटा सकते है, पर दूसरी गर्मियां जैसे समानता को लाने की कोशिश की तरह । भले ही आप ठंडा पांनी पी ले या ए.सी में रह ले पर कही न कही गर्मी का एहसास तो जरूर होगा और इस लिए हर कोई गर्मी से बचने के लिए कम से कम कपड़ो में दिखाई देता है ,अगर आप ए.सी रूम में टी-शर्ट पहन रखा है तो जुगी में रहने वाले की हालत आपसे ज्यादा खराब नही देखती क्यू की उसने भी बनियान डाल रखी है । इस तरह पहनावे के जरिये ये समानता देखने को मिलती है ।
पर ये केवल एक नजरिया था मौसम को देखने उसे समझने का उसकी तुलना करने का समाज के साथ , ऐसे और भी कई नज़रिए हो सकते है और बेहतर नजरिये हो सकते है आपके और हमारे इसको देखने का जिसके जरिये हम कई और मौसम की तुलना भी कर सकते है,बस करना ये है कि अपने सोच के घोड़े दौड़ते रहे ।
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-Az👤
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Hmmm. Sahi h
ReplyDelete:)
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