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Showing posts from 2017

फ़रवरी उन दिनों की

फ़रवरी उन दिनों की  वो फ़रवरी का महीना....चारों तरफ ठंडा वातावरण.... मानो मन को भी शीतलता प्रदान कर रहा था... इतने सुनहरे मौसम में...प्रेम का दस्तक़ देना लाज़मी था... अठारह फ़रवरी की रात....दो अजनबी इन्टरनेट के माध्यम से करीब आए थे.....पहली बार किसी की पसंद बनने की ख़्वाहिश कुछ इस क़दर व्यक्तित्व पे हावी हुई की अपनी अस्मिता को ही दाव पे लगा दिया था...मगर प्रेम अब भी दूर था...शायद इज़हार के पीछे ही कहीं छुपा हुआ था... बारह महीनों में से फ़रवरी का महीना कुछ इस क़दर छोटा था....मानो उनके प्यार का उम्र।।। फ़ाल्गुन का महीना आरंभ हो रहा था.....दोनों पर एक दूसरे का रंग साफ़ तौर से महसूस किया जा सकता था।। उनका दरवाज़े पे अचानक से दस्तक़ देना...मानो दिल में दस्तक़ देने के सामान था.....होंठों पे मुस्कराहट... दिल में चाहत...आंखों में शर्म और वो छुपती छुपाती नज़र.. ये सब फ़ाल्गुन के महीने का असर था या उनकी चाहत का...इस बात का अंदाज़ा लगाना सरल था... खैर मैंने उस पल में एक मूक प्राणी का जीवन व्यतीत किया था...उस दिन ये महसूस हुआ की किस प्रकार एक मूक प्राणी अपने अंदर अनश्वर प्रेम को समेटे हुए ज

शहर हमारा बेरोज़गार है साहब ।

शहर हमारा बेरोज़गार है साहब ।।     पहली बार अपने शहर में अकेला निकाला था कही घूमने,उम्र ज्यादा नही वही 13-14 साल रही होगी। पहली बार थोड़ा आज़ादी और साथ ही डर भी महसूस हुआ जो मम्मी पापा के साथ होने पर नही हुआ करता था , पर अच्छा लगा कई जगहों पर घूमा , और फिर दोपहर को घर वापस आने लगा कि सड़क पार करते समय एक आदमी ने मेरा हाथ पक्कड़ लिया, "उसने कहा इतनी क्या जल्दी है रेड लाइट हो जाने दो, फिर जाना"(उसे देख कर लगता था जैसे जिंदगी में उसने सब्र करना अच्छे से सीखा है)थोड़ी देर के लिए मैं घबरा गया(लड़का हुआ तो क्या हुआ) लेकिन फ़िर उसने रेड लाइट होते ही मुझे दूसरी तरफ छोड़ कर आगे चल दिया ,रात को मैं उस आदमी के बार में सोचता हुआ सो गया । अगले दिन सुबह रोज कि तरह घर के पास वाले पार्क में खेलने जाया करता था ,पार्क के गेट को तो लोगों ने कूड़ाघर समझ रखा था, हर कोई वही कूड़ा फेंकता था , पर मैंने देखा की आज कोई वहाँ एक छोटी सी जग़ह में सफाई कर रहा था मैं थोड़ा जल्दी में था तो ध्यान नही दिया और पार्क के अंदर चला गया । खेल खेल कर थक जाने के बाद घर वापस आने लगा तो देखा पार्क के गेट के पास एक मो

क्या आप ,हज़रत निजामुद्दीन औलिया की जूती की कहानी जानते है।

हज़रत निजामुद्दीन की जूती   Hello , दोस्तों । इस ब्लॉग के जरिये से में एक बेहद रोचक कहानी बताने जा रहा हूँ ।कहानी गुरु और शिष्य की है कुछ वैसी जैसीे महाभारत में गुरु द्रोण और शिष्य एकलव्य की थी ।      ये कहानी है , एक मशहूर सूफी संत (चौथे चिस्ती संत) जिन्हें खलीफा का दर्जा प्राप्त हो चूका था वो थे " हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया"(1236-1325) और उनके प्रिय शिष्य "अमीर खुसरो" की (1253-1325)जिनका सम्बन्ध राजघराने के साथ हुआ करता था और 8 राजों को अपनी सेवाएं पहले दे चुके थे । पर किसी वजह से अपनी नौकरी त्याग दी और वैराग और संतों की तरह जिंदगी जीने की सोची , और अपने परिवार और खूब सारे सामान(धन) और ऊँटो के साथ हज़रत निजामुद्दीन के आश्रम के लिए निकल पड़े ।        तो कहानी कुछ इस तरह हुई की हज़रत निजामुद्दीन लोगों को वैराग और सहनशीलता की शिक्षा दिया करते थे अपने आश्रम (कुटियां) में ,तो एक आदमी अपनी एक परेशानी ले कर हज़रत साहब के पास आया और उसने बोला की मेरी बेटी की शादी करवानी है और वह बहुत गरीब है और पैसों की सख्त जरूर है ,नही तो मेरी बेटी की शादी नही हो पाएगी। 

MASUM MANSOON

तुम न कभी कभी जो आते हो सच्ची बहुत रूलाते हो कलियों जो नयी खिलाते हो फिर साल भर छुप जाते हो । कोई गर्मी से दो चार है किसको तुम्हारा इंतजार है  तुम से ही तो बागों में बहार है दिल यू ही कई बेक़रार है । देखों कई दिलों का सवाल है । हाल थोड़ा बदहाल है वैसे मौका बेमिसाल है सब बेहतरीन ये अमल है । 'मासूम' लगते हो जब झूम के आते हो खोखले सरहदों को चूम के आते हो दिलों को दूरियों को तोड़ कर जाते हो ये छोटी सी दुनिया को जोड़ कर जाते हो । कोई खिलता है,तो कोई मचलता है आज कल हर कोई हसँ के मिलता है  और जिंदगी में कितने रंग थे ये तुम्ही से तो पता चलता है । मेरे शहर की सड़के तुम्हारे ,प्यार से बदनाम है रो कर पी रही है ,कीचड़ का जामा है  भीगी भीगी जो ये शाम है अब तो जिंदगी में बस यही आराम  है ।  :आप को हमारा ब्लॉग  कैसा लगा हमें ज़रूर बताए ,मिलते है अगले ब्लॉग के साथ नमस्कार ।।   :We will glad with your valuable Suggestions and reviews, thank you ! -Az👤 【Avoice63】°©

EK WO BHI KOI

                           एक मौसम वो भी था, जो              गरजता भी उसी के लिया था,              और बरसता भी उसी के लिए ।।              एक शायरी ऐसी भी थी, जो               दिल से आती थी उनके लिए               यादों में रहती थी उनके लिए ।। एक लमहा वो भी था ,जो साथ उनके गुजरता था और खुशियों- सा ठहरता ।। एक बात वो भी थी, जिसकी हर बात में आपका एहसास था जिसमे छुपा-सा कोई सांज था ।।                     एक याद भी ऐसी थी, जो                      बनी थी आपके आगाज़ से                 और खत्म होगी आपके जाने पर।।                   एक दोस्ती वो भी थी, जिसने                       सिखाया जीने तरीका                    कैसे जिए मारने के बाद भी।।  एक प्यार वो भी था,जो जो दिल ही दिल में रहता था बस कहने से डरता था ।। एक कहानी वो भी थी, जो शुरू उसी से होती थी  और खत्म भी उसी पर होगी ।।  :आप को हमारा ब्लॉग  कैसा लगा हमें ज़रूर बताए ,मिलते है अगले ब्लॉग के साथ नमस्कार ।।   :We will glad with your valuable Suggestions and reviews, thank you !

YEH WAQT BEET JAYEGA !

ये वक़्त बीत जाएगा तनहा छोड़ जाएगा बेवज़ह सताएगा न कोई फिर समझाएगा मुक़ाम वही फिर आएगा जब हर कोई रुलाएगा ।। ये वक़्त बीत जाएगा सूना-सा जहाँ हो जाएगा पतझड़ छा जाएगा दिल यू ही बेहाल जाएगा मुक़ाम वही फिर आएगा जब रिश्ता बदल जाएगा ।। ये वक़्त बीत जाएगा न लौट कर ये आएगा साथ अपना छूट जाएगा क़दम आगे को बढ़ जाएगा मुक़ाम वही फिर आएगा जब तनहा दिल हो जाएगा ।। ये वक़्त बीत जाएगा सफ़र नया कोई आएगा नया रास्ता मिल जाएगा शायद हमसफ़र बदल जाएगा मुक़ाम वही फिर आएगा जब दिल फिर संभल जाएगा ।। ये वक़्त बीत जाएगा ।  :आप को हमारा ब्लॉग  कैसा लगा हमें ज़रूर बताए ,मिलते है अगले ब्लॉग के साथ नमस्कार ।।   :We will glad with your valuable Suggestions and reviews, thank you ! -Az👤 【Avoice63】°©

DELHI DARSHAN

Hello , दोस्तों     लोकतंत्र की जीत तभी होती है जब चुनाव होते है चुनावी प्रक्रिया लोकतंत्र की सांसे जैसी है ।और जनता की भागीदारी बस यही एक महत्वपूर्ण मौका होता है    इसी दिशा में रविवार 23 अप्रैल 2017 को दिल्ली में नगर निगम के चुनाव होने जा रहे है और 272 सीटों पर अलग अलग पार्टियों के उम्मीदवॉर अपना दावा पेश करेंगे ।        इस ब्लॉग को लिखने का एक ही मकसद है ये देखना की आप वोट सोच समझ कर दे न कि झंडों और रैलियों को देख कर जो आपकी गलियों में आज कल टहल रहे है । "वोट देने का आधार उस राजनैतिक व्यक्ति पर होना चाहिय न कि उसकी पार्टी पर" , और वो क्या वादे है जो उन्होंने किये है ये जाना लेना भी बहुत जरूरी हो जाता है साथ ही MCD की संरचना "structure" , उम्मीदवारी "candidature" , और पार्टियों के घोषण पत्र " manifesto " पर भी एक नज़र देख़ लेना चाहिए , तो शुरू करते है ।                                                  【 संरचना - structure 】       दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) एक नगर निगम, एक स्वायत्त (autonomous)निकाय है जिसमे 272 सीटे है (north

Yun hi ~ यू ही ।

कल रात को यू ही सोच रहा था की तुमने कहा था फिर मिलेंगे हाँ मुझे ठीक ठीक याद है वो शायद तू ही थे स्कूल के आखिरी दिनों में ये बातें कहने वाले । आज अंजाने रास्तों पर सिर्फ अजनबियों की तरह मुलाकाते होती है । कभी हेलो हाय होती जाती और कभी दुआ सलाम । नही भी मिलते कोई नही , शायद दुरी इसकी बेहतर वजह है, मैं बेवाज ही शायद तुम्हारे कॉल का इंतज़ार करता था आज भी करता हूँ तुम्हारे कांटेक्ट पर तुम्हरी फाटो भी लगा दी उसी वक़्त जब स्कूल में आखिर दिन था । आज हम सब आगे बढ़ गए है अपनी अपनी जिंदगी में नए मकामों की तलाश में बस चले जा रहे है चलते ही जा रहे है पीछे मुड़ कर देखना शायद अब उतना आसान भी नही । मैं जानता हूं वो वक़्त वापस नही आएगा पर कई बार जब कही किसी चाय की दुकान पर , या बस की खिड़की के पास बैठता हूँ तो सोचा हूँ वो पुराने दोस्त वापस मिलेंगे क्या ?  :आप को हमारा ब्लॉग  कैसा लगा हमें ज़रूर बताए ,मिलते है अगले ब्लॉग के साथ नमस्कार ।।   :We will glad with your valuable Suggestions and reviews, thank you ! -Az👤 【Avoice63】°©

SOCH

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NISHAN ~ निशान

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SHAYAD ~ शायद

मुझे याद है वो दिन जब में स्कूल जाया करता था, गलियाँ भरी रहती थी फिर भी एक सुकून का एहसास होता था, आज गलियाँ भरी है फिर भी वो सकून नही।।।    *शायद दुनिया बदल रही है* मुझको याद है वो स्कूल  के दिन जब सब मिल कर एक ही टिफिन में खाना खाया करते थे आज वो लोग फ़ोन तक ही रहे गये है।।।     *शायद रिश्ते बदल रहे*    मुझको याद है वो दिन जब में बच्चा था हर छोटी बड़ी चीज सही हुआ करती थी ना कोई धर्म न कोई भाषा न कोई भेद भाव।।।     *शायद वक़्त बदल रहा है* मुझे याद है वो दिन जब मेरी जरूरते यु ही पूरी हो जाया करती थी, आज अधूरी है पर में समझता हूं कि ऐसा क्यू है।।।       *शायद में भी बदल रहा हूँ* :आप को हमारा ब्लॉग  कैसा लगा हमें ज़रूर बताए ,मिलते है अगले ब्लॉग के साथ नमस्कार ।।   :We will glad with your valuable Suggestions and reviews, thank you ! -Az👤                              【Avoice63】°©                  

KUCH MAUSAMI SA !

कुछ मौसमी-सा ।। Hello ,  दोस्तों  ये मौसम भी कमाल है, कभी ध्यान दिया है कि कैसे ये बदलता है ? और, कैसे बदलते है समाज व रिश्ते  ? चलिए समझने की कोशिश करते है । वैसे मौसम कि बातें ज्यादातर मौसम विभाग या फिर प्यार में डूबे लोग के मुंह से ही अच्छा लगता है जिस पर सोचने के लिए शायद उन्होंने कॉपीराइट्स भी लिया होता है । वैसे देखे तो मौसम और समाज में काफी जुड़ाव देखने को मिलता है , किसी समाज का स्वभाव कैसा होगा,ये वहाँ के मौसम से भी पता चल सकता है , ठीक वैसे ही जैसे काफी दिन की गर्मी गुस्साए लोगों को बारिश का मौसम ख़ुशनुमा सा कर देता है , और लोगों के स्वभाव बदल कर रख देती है ।    सिर्फ बारिश को ले तो इसका असर सभी  लोगों पर देखने को मिलता है ,कुछ के लिए बारिश मस्ती के जैसा ,कुछ के लिए पहले प्यार जैसा तो किसी के लिए बहार और कुछ के लिए एक लंबे इन्तजार के जैसा। यही नही और बाकि मौसमो का भी कुछ यही हाल है ।        किसी ने कहा था कि '' सर्दियों सेठो की होती है , तो गर्मियां गरीबो की '' कैसे? समझता हूं रुकिए ! सर्दियां थोड़ी बेरहम सी मालूम पढ़ती है ,  गरीबों का कोई औका

KALPANA KA SAFAR !

कल्पना का सफ़र  HELLO दोस्तों, इंसान के पास एक अदभुत शक्ति है वो है ''कल्पना'' ,उनकी क्षमता का आधार,जिसके ऊपर उसके सभी सपने और अरमान टिके होते है । और एक ही चीज को कई तरह से देखने का नज़रिया भी कल्पना शक्ति से मिलता है ।   बस का सफ़र भी उसी अलग कल्पना का हिस्सा है , जिसे बस की भीड़ भाड़ में आपने शायद अनदेखा कर दिया हो , या आपके हैडफ़ोन ने आपकी कल्पना की आवाज को आप तक पहुचने ही नही दिया शायद ? ये भी हो सकता है बस में लड़ाई ,ट्रैफिक,गर्मी , सीट न मिलने की वजह से आपकी कल्पना आपके माथे से नीचे आने की कोशिश नही करती , और भी बहुत से कारण हो सकते है ।   आगे चलते है बता कल्पना की हो रही थी, तो बस का सफ़र की तुलना अपनी जिंदगी से अपने कल्पना में कि जा सकती है   और आपको पता चलेगा कि उस सफर में और आपकी जिंदगी में कोई खास फर्क नही है । हर बस स्टॉप से कोई न कोई चढ़ता है और उतरता भी बिलकुल वैसे जैसे किसी का जन्म लेना और मरना , उसके बाद वो टिकेट के रूप में अपना भविष्य खरीदता है ''क्या करे इंसान है !'' जैसे टिकेट में एक जगह तय होती है वैसी ही आपका भविष्य भी तय होता

NAJARIYA !

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#PRIME

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HAI HOUSLA !

               जो कर सके,है दम वही                                 कदम वही जो, बढ़ सके                                जो लड़ सके, वो ''हौसला''                                  मिटा सके जो ,फासला                                जो मैं नही तो ''हम सही''                               बदल दे जो ये कारंवा ।।                            :आप को हमारा ब्लॉग  कैसा लगा हमें ज़रूर बताए ,मिलते है अगले ब्लॉग के साथ नमस्कार ।।   :We will glad with your valuable Suggestions and reviews, thank you ! -Az👤 【Avoice63】°©    

EK DIN KOI

बस यु ही एक दिन एक अजनबी सा कोई आ जाता है जिंदगी बन कर जो कहता खुद को दोस्त है मेरा समहाल लेता है जाने क्यू कई बार गिरने पर मुझको समझने की कोशिश करता है कई बार, हँसने की कोशिश करता है कई बार, जिसकी बातों में मेरे लिए परवाह झलकती है जिसकी ख्वाहिशे मेरी क़िस्मत को बदलने की है बिना किसी हक़ के ही हक़ जतना उनकी आदत है बिना कुछ कहे सब समझ जाने की आदत है उनकी। बस यू ही एक दिन एक अजनबी सा कोई आ जाता है जिंदगी बन कर......  :आप को हमारा ब्लॉग  कैसा लगा हमें ज़रूर बताए ,मिलते है अगले ब्लॉग के साथ नमस्कार ।।   :We will glad with your valuable Suggestions and reviews, thank you ! -Az👤 【Avoice63】°©

BADALTI HAWAA !

बदलती हवा  दोस्तों हाँ जी राम-राम । कृप्या राम-राम को साम्प्रदायिकता से न देखे यह देश विभिन्ता में एकता का प्रतीक है , जैसे तेज बारिश के बाद निकाला इंद्रधनुष 7 अगल-अलग रंग पर एक कतार में बिलकुल वैसा । तो बात थोड़ी गंभीर है , या कहे की मौसम में कुछ ऐसा है इस महीने जगह-जगह दीवार के पीछे , खिड़की से, छत के मुहाने से व बाल्कनी पर से आज कल कोई छुप कर कोई ताक लगाए बैठा हुआ-सा महसूस होता है ! बड़ी नाज़ुक स्तिथि है पास की दुकानों पर ग्रेनेट जैसे गुब्बरे , A K 47 जैसे पिचकारियाँ , वाटर टैंक , रंग  की गोलियां सस्ते दामों में मौजूद है जो किसी को भी डर सकते है । जी बिल्कुल ज़नाब मौसम ही कुछ ऐसा है , आज कल ''लोग सर उठा कर चलने लगे है '' महीने का आलम ही कुछ ऐसा है सभी भेद-भाव ,अमीरी गरीबी,बच्चा,नवजवान,महिलाओं,बुजुर्गो सभी को सर उठाने का मौका दे रहा है , कारण वही डर है,और आप जानते है कि किस चीज के डर की बात में कर रहा हूँ। चलिये कोई नही इसी बहाने एक समानता का माहौल समाज में देखने को मिलता है और सब से ज्यादा इस समानता का असर मथुरा में देखने को मिलता है जहाँ 15 से 20 दिन तक अलग

KHABAR !

ख़बर  HELLO दोस्तों, ''सोशल मीडिया'' का महत्त्व हर दिन के साथ बढ़ता जा रहा है , कारण सिर्फ इनफार्मेशन और नॉलेज नही बल्कि कनेक्टिविटी है , पूरी दुनिया को ''एक समुदाय'' बनने की और यह तकनीक ''वैश्वीकरण'' की देंन है। आप उस नीले रंग वाले F के साइन से परिचित जरूर होंगे और उस आसमानी रंग की चिड़िया से भी, जो तेजी से आम लोगो की खासतौर और टीनेजर्स की लाइफस्टाइल का हिस्सा बन चुकी है । कुछ लोगों से तो ये एक लाइलाज बीमारी की तरह चिपके रहता है, और ये बीमार लोग आसानी से लाइनों में ,रोड पर, रेस्टुरेंट में , मेट्रो ,बस , गाड़ी , घरों और पार्कों आदि में सर झुके मिल सकते है , और ''ध्यान से'' इनके पास  न जाये दुरी बना कर रखे क्यू की सेल्फी नाम का वायरस इन सभी के फ़ोन से निकलता है जो आपको भी अजीब अजीब हरकते करने पर मजबुर कर सकता है फिर चाहे आप कितना भी होश में क्यू न हो ! बोर्ड परीक्षा का दौर बस शुरू होने ही वाला है और मजे की बात ये है कि सोशल साइट से अकाउंट डिलीट करने का सिलसिला भी शुरू हो गया है जिसमे ज्यादातर स्कूली छात्र शामिल ह

AKHIR CHUNAV KISKA ?

आख़िर चुनाव किसका ? Hello, दोस्तों       एक बड़ी ही रोमांचक मेले के बारे में बताने जा रहा हूँ शायद आप सब उससे परिचित जरूर होंगे। नही,में कुंभ के मेले की बात नही कर रहा हूँ जो हर 12साल बाद मनाया जाता है मैं बात कर रहा हूँ उसकी जो हर 5 साल में एक बार आता है और उसके आखिरी साल मतलब 5वे साल लोग और कुछ टोपी वाले झंडे और गड़िया ले कर आपकी घर के पास वाली रोड या पार्क पर लोकतंत्र की दुहाई देने कीे शुरुवात करते है । हम भी क्या करे बड़े ही आशावादी है ? सिर्फ दुहाई ही दे सकते है कि शायद कभी तो , वो मशीन शायद कोई देव दुत ले कर आये जो सब ठीक कर दें । चलिये आश और निराश की बात छोड़िये और अब एक सवाल की आख़िर में चुनाव किसका? मै किसी सफ़ेद कुरता पहननें वाले को चुनने की बात नही कर रहा हूँ ,बल्कि इस बात से हैरान हूं कि आख़िर में कौन किस का चुनाव करता है ? हम उनका चुनाव करते है कि वो हमारा चुनाव करते है ? अब तक शायद समझ ही गया होंगे की यहाँ बात हो रही शोषण की , की किस तरह चुनाव और चुनावी प्रक्रिया बदलती जा रही है पर लोगों की हालत में सुधार दिखाई नही पड़ रहा है , लोग विश्वास करते है वादों और रैलियों

MANA SHABD KAMZOR HAI !

माना अभी शब्द कमजोर है बहुत , पर परवाह नही करता कभी इस बात की लिखने बैठ जाता हूं ऐसे ही कई बार और पहुच जाता हूं कही किसी और जहान में अपनी सोच और सीमाओं से भी आगे सोचता हूँ और कुछ समझता हूँ फिर समझता हूं तो मानता हूँ और मानता हु तो कुछ जनता हूँ और एक नयी राह  बुनता हूँ माना शब्द कमजोर है  बहुत, पर समझ लेता हूँ कुछ अनसुनी और कुछ अनकही बात को भीे जो वो कहना चाहते थे पर कह न सके और लिखने बैठ जाता उसे अपनी जुबानी माना कोई स्थान नही मेरा फिर भी कोई अपमान भी नही ये जनता हूँ माना शब्द कमजोर है बहुत...  :आप को हमारा ब्लॉग  कैसा लगा हमें ज़रूर बताए ,मिलते है अगले ब्लॉग के साथ नमस्कार ।।   :We will glad with your valuable Suggestions and reviews, thank you ! -Az👤 【Avoice63】°©

EK BURI AADAT !

एक बुरी आदत । HELLO,दोस्तों जब मैं  छोटा था, शिक्षा एक रौशनी की तरह थी मेरे लिए शायद आपके लिए भी होगा? ज़रूर होगा, तभी तो बस उसी रौशनी को ढूढ़ने मैंने 4 घेरे को छोड़ बस कुछ ही दूर अपने घर से एक नयी आदत बना ली वैसी ही जैसे क्रिकेट खेलना ,हाथ पकड़ कर चलना, सब को नमस्ते करना,टॉयलेट लगने पर बता देना, कहानी सुनना और कुछ वैसे ही, बस फर्क क्या था उन आदतो में ,ये मैं आज जा कर समझ हूँ। पता नही आप समझे न समझे जो मै आज महसूस कर रहा हूँ शायद उस कॉपी के कागज़ से ऊपर आना  ही वो रौशनी थी जिसे मैंने अपने नंबरों के बीच देखा ही नही, या शायद  परिवार की उम्मीदों में छुप सा गया था। मैंने आज जाना की क्यू 6वी क्लास से 12वी क्लास में प्रोजेक्ट मिलने पर मेरे नम्बर तो ठीक थे पर वो कुछ सीख जाने को अनुभव नही मिला । हो सकता है शायद x का मान निकालने से, नमक के क्रियाशीलता से, राष्टीय आय और समाजवाद  की टिप्पड़ी करने से उसको समझना ज्यादा जरूरी था। मैंने पाया कि कैसे मैंने अपने अर्थों को किताबों की अर्थों के नीचे दबा रखा था । कैसे मैंने अपने सवाल को हल करने के तरीके को किसी और के 5 स्टैप्स के नीचे रौंद दिया था।

THE UNKNOWN YOU : PAPA :)

मैं आपका ही बेटा हूँ पर न जाने क्यू मुझे मां की तरह प्यार करते नही आप ?   शायद वो डांट और गुस्सा भी   प्यार से कम नही था   ये आज मैंने जाना ।।   मैं आपका ही हिस्सा हूँ   आपका ही स्वरुप,  पर माँ जैसा खाना कभी  अपने हाथों से खिलाया नही।।   पर रात को कही भी सो जाने पर  बिस्तर पर आप ही लिटाते थे,   ये आज मैंने जाना ।। जब मुश्किल थी जब दुःख था तब माँ की तरह सहलाया नही पर न कुछ कहें आप हमेशा साथ रहे    ये आज मैंने जाना ।।😍👪😍👪  :आप को हमारा ब्लॉग  कैसा लगा हमें ज़रूर बताए ,मिलते है अगले ब्लॉग के साथ नमस्कार ।।   :We will glad with your valuable Suggestions and reviews, thank you ! -Az👤 【Avoice63】°©