कल रात को यू ही सोच रहा था
की तुमने कहा था फिर मिलेंगे
हाँ मुझे ठीक ठीक याद है
वो शायद तू ही थे
स्कूल के आखिरी दिनों में
ये बातें कहने वाले ।
आज अंजाने रास्तों पर सिर्फ
अजनबियों की तरह मुलाकाते होती है ।
कभी हेलो हाय होती जाती
और कभी दुआ सलाम ।
नही भी मिलते कोई नही , शायद
दुरी इसकी बेहतर वजह है, मैं
बेवाज ही शायद तुम्हारे कॉल का
इंतज़ार करता था आज भी करता हूँ
तुम्हारे कांटेक्ट पर तुम्हरी फाटो भी लगा दी
उसी वक़्त जब स्कूल में आखिर दिन था ।
आज हम सब आगे बढ़ गए है
अपनी अपनी जिंदगी में नए
मकामों की तलाश में
बस चले जा रहे है चलते ही जा रहे है
पीछे मुड़ कर देखना शायद अब
उतना आसान भी नही ।
मैं जानता हूं वो वक़्त वापस नही आएगा
पर कई बार जब कही किसी चाय की दुकान पर , या बस की खिड़की के पास बैठता हूँ
तो सोचा हूँ वो पुराने दोस्त वापस मिलेंगे क्या ?
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-Az👤
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