मैं कौन हूँ ?
एक अहम सवाल है
जो अक्सर पूछता हूं मैं खुद से
की क्यू मैं खुद से ही अंजान?
जाने कब तक, जाने क्यू ?
एक अजीब सी पहेली है
जो खेलती अठखेली है
जाने क्यू हूँ ऐसा?,
ये तो वक़्त ही जानता है
और जानते है वो रिश्ते
जिनसे मिल कर मैं बना हूँ,
जहाँ तक कुछ जीतने की बात है
लोग जीत जाते है सब कुछ
रिश्तों को छोड़ कर ,और मैं
हार जाता हूँ रिश्तों को देख कर
शायद यही मेरी कमज़ोरी,
शायद यही मेरा स्वभाव,
शायद इसलिए में शांत हूँ ,और
शायद तभी खुद से अनजान भी।।
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-Az👤
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