माना अभी शब्द कमजोर है बहुत ,
पर परवाह नही करता कभी इस बात की
लिखने बैठ जाता हूं ऐसे ही कई बार
और पहुच जाता हूं कही किसी और जहान में
अपनी सोच और सीमाओं से भी आगे
सोचता हूँ और कुछ समझता हूँ
फिर समझता हूं तो मानता हूँ
और मानता हु तो कुछ जनता हूँ
और एक नयी राह बुनता हूँ
माना शब्द कमजोर है बहुत,
पर समझ लेता हूँ कुछ अनसुनी
और कुछ अनकही बात को भीे
जो वो कहना चाहते थे पर कह न सके
और लिखने बैठ जाता उसे अपनी जुबानी
माना कोई स्थान नही मेरा फिर भी
कोई अपमान भी नही ये जनता हूँ
माना शब्द कमजोर है बहुत...
:आप को हमारा ब्लॉग कैसा लगा हमें ज़रूर बताए ,मिलते है अगले ब्लॉग के साथ नमस्कार ।।
:We will glad with your valuable Suggestions and reviews, thank you !
:We will glad with your valuable Suggestions and reviews, thank you !
-Az👤
【Avoice63】°©
Comments
Post a Comment